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2 Peter
2 Peter 3.16
16.
वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्रा शास्त्रा की और बातों की नाईं खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।