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Deuteronomy
Deuteronomy 27.15
15.
कि शापित हो वह मनुष्य जो कोई मूर्त्ति कारीगर से खुदवाकर वा ढलवाकर निराले स्थान में स्थापन करे, क्योंकि इस से यहोवा को घृणा लगती है। तब सब लोग कहें, आमीन।।