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Psalms 38.12

  
12. मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हाति के यत्न करनेवाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं।